ठिकाना तो सही लिखा था हमने, भूले हुए अलक़ाब सा बना दिया हमको। ठिकाना तो सही लिखा था हमने, भूले हुए अलक़ाब सा बना दिया हमको।
इक ख़त भेजा बुल्ले शाह, घूम रहा मुल्कों मुल्कों। इक ख़त भेजा बुल्ले शाह, घूम रहा मुल्कों मुल्कों।
हो गई है पढ़ चुके अखबार जैसी जिंदगी घर के कोने में पड़े हैं रद्दी वाले के लिए हो गई है पढ़ चुके अखबार जैसी जिंदगी घर के कोने में पड़े हैं रद्दी वाले के लिए
कट गई कलंक कड़ी तीन सत्तर, कश्मीर अब आजाद हुआ। रोये छाती पीट बाल नोच, आतंकी धंधा बर्बाद हुआ... कट गई कलंक कड़ी तीन सत्तर, कश्मीर अब आजाद हुआ। रोये छाती पीट बाल नोच, आ...
आँखों से बुलाते भरे महफ़िल में साहिब आगाज़ नहीं देते झूठी आन के शाह में.... आँखों से बुलाते भरे महफ़िल में साहिब आगाज़ नहीं देते झूठी आन के शाह में....
'उल्लास' ने लिख डाली बेशक, ये सारी बातें पुरानी हैं। 'उल्लास' ने लिख डाली बेशक, ये सारी बातें पुरानी हैं।